पॉजिटिव इंडिया:जोहानिसबर्ग, छह सितंबर 2019
(एएफपी) जिम्बाब्वे पर 1985 से 2017 तक सख्ती से शासन करने वाले पूर्व राष्ट्रपति रॉबर्ट मुबाबे का शुक्रवार को 95 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। देश के राष्ट्रपति ने शुक्रवार को इसकी घोषणा की। जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति एमर्सन नांगाग्वा ने शुक्रवार को ट्वीट किया,मैं बहुत दुख के साथ यह घोषणा कर रहा हूं कि जिम्बाब्वे के संस्थापक एवं पूर्व राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे का निधन हो गया है।उन्होंने कहा,मुगाबे आजादी का प्रतीक थे। वह एक ऐसे अफ्रीकी नेता थे, जिन्होंने अपने लोगों की आजादी और सशक्तिकरण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। हमारे देश और उपमहाद्वीप के इतिहास में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।’’
जिम्बाब्वे के राजनयिक ने जोहानिसबर्ग में बताया कि पूर्व राष्ट्रपति मुगाबे की मौत शुक्रवार को सिंगापुर में 10 बजकर 40 मिनट पर (भारतीय समयानुसार आठ बजकर दस मिनट पर) हुई। उन्होंने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि राष्ट्रपति एमर्सन नांगाग्वा केप टाउन में आयोजित विश्व आर्थिक मंच की बैठक से लौट रहे हैं।
मुगाबे नवंबर 2017 में अपमानजनक तरीके से सत्ता से बेदखल किए जाने के बाद से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे थे। वह कई महीनों से अघोषित बीमारी का इलाज कराने के लिए सिंगापुर के अस्पताल में भर्ती थे जिसकी पुष्टि नांगाग्वा ने भी इस साल के शुरुआत में की थी।
हालांकि, मुगाबे की मौत की परिस्थितियों के बारे में तत्काल जानकारी नहीं मिली है। मुगाबे के शासन को राजनीतिक विरोधियों के दमन और देश की अर्थव्यवस्था को बर्बाद करने के लिए याद किया जाता है।
बढ़ते उग्रवाद और आर्थिक प्रतिबंधों के कारण रोडेशिया सरकार के वार्ता की मेज पर आने के लिए मजबूर होने के बाद 1980 के चुनावों में पूर्व राजनीतिक कैदी और गुरिल्ला युद्ध के नेता मुगाबे सत्ता में आए थे।
सत्ता के शुरुआती दौर में मुगाबे को नस्लीय मेल मिलाप की नीति घोषित करने, अश्वेतों को बेहतर शिक्षा एवं स्वस्थ्य सुविधाएं मुहैया कराने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली लेकिन जल्द ही विरोधियों का दमन खास तौर पर ‘गुकुरुहुंडी’ नामक अभियान जिसमें 20,000 विरोधी मारे गए, से उनकी छवि खराब हुई।
हिंसक तरीके से श्वेतों की जमीन पर कब्जे के चलते अंतरराष्ट्रीय समुदाय से मुगाबे अलग-थलग पड़ गए लेकिन अधिकतर अफ्रीकी देशों में उनकी छवि एक मुक्ति संग्राम नेता की रही।
मुगाबे उनकी सत्ता को अस्थिर करने की धमकी दे रहे मुक्तिसंग्राम के नेताओं को शांत करने के लिए यह नीति लाए थे लेकिन यह कृषि क्षेत्र के लिए विनाश लेकर आई। इससे विदेशी निवेशक चले गए और देश आर्थिक बर्बादी के कगार पर पहुंच गया। इसके साथ ही मुगाबे शासन में मानवाधिकार हनन और चुनावों में धांधली के आरोप लगे।
मुगाबे के दशकों के शासन में उनके उत्तराधिकारी के बारे में चर्चा करना परोक्ष रूप से वर्जित था लेकिन 90 की उम्र पार करने और सेहत खराब होने के बाद सत्ता के अभिजात वर्ग में उनकी मौत के बाद सत्ता के लिए संघर्ष सामने आ गया।
Positive India (www.positiveindia.net.in)has been started in the year 2012 at Raipur by Purshottam Mishra of Chhattisgarh-India. Positive India is offline weekly newspaper and www.positiveindia.net.in is online daily newsportal.Positive India is very active on social media platforms.