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सायरा बानू के जन्मदिन पर कनक तिवारी का विशेष लेख

अदाकारी के जहांपनाह की मलिका को जन्म दिन मुबारक

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Positive India:Kanak Tiwari:
टाइम्स आॅफ इंडिया की पत्रकार उदयतारा नायर की दिलीप कुमार की मित्र, मार्गदर्शक और दार्शनिक पत्नी सायरा बानो की दोस्ती की वजह से ‘दि सब्सटेन्स एंड दि शैडो‘ शीर्षक की इस महान अभिनेता की रामकहानी पाठकों के हाथ में है। ‘आत्मकथा‘ की पत्नी सायरा बानो द्वारा लिखित भूमिका उस भूमि का फलसफा है जिसकी गोद में लेटे बिना दिलीप कुमार को आसमान की बुलंदियों तक जाना संभव नहीं था। भूमिका में किसी गोपिका का कृष्ण के प्रति लास्य या मीरा की भक्ति को शामिल कर पत्नीत्व की प्रतिबद्धता के बावजूद एक स्थितप्रज्ञ बयान है। दिलीप कुमार के सायरा-आकलन में यूसुफ खान अर्थात मनुष्य को किवंदतीनुमा बन चुके कलाकार को कहीं कहीं गौण बनाकर भी उस पर तरजीह देने का प्रयास है। वह केवल पत्नी की जमा पूंजी नहीं, एक अदद मनुष्य की एक महान कलाकार को धरती पर खड़ा रखने की चुनौती देने का दस्तावेज भी है।

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साथी कलाकार कामिनी कौशल और मधुबाला के साथ उनके क्रमश: हुए प्रेम प्रसंगों को लेकर दिलीप कुमार ने बहुत अधिक शालीनता, संक्षिप्तता, संकोच और सयानेपन का परिचय देने की कोशिश की है। उनके जीवनीकार बन्नी रूबेन ने इस रिश्ते को उद्घाटित और विस्तारित करने की जवाबदारी ली। उनके अनुसार कामिनी कौशल विवाहित भी होने के कारण सहमति देने की स्थिति में खुद को नहीं पाती थीं। सामान्य धारणा है कि अताउल्लाह खान ने मधुबाला का रिश्ता दिलीप कुमार के साथ कबूल नहीं किया था। दिलीप कुमार कहते हैं कि उसके पिता पूरी तौर पर तैयार थे। लेकिन मुझे इस बात का भय था कि रिश्ता हो जाने पर अधिकांश फिल्में मधुबाला के साथ उनके पिता के लिए ही करनी पड़तीं। वह दो प्रमुख कलाकारों के लिए कलात्मक आधार पर ही उचित नहीं होता।

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बन्नी रूबेन ने तो आगे यहां तक लिख दिया है कि वहीदा रहमान के साथ जब दिलीप कुमार की कुछ फिल्मों में जोड़ी बनी तो वह असल ज़िंदगी की जोड़ी भी बनते बनते रह गई। इसका कारण कोई नहीं बता सकता, हालांकि इन्हीं दिनों अचानक दिलीप कुमार और सायरा बानो की शादी की घटना घटी। शादी के ठीक पहले बकौल रूबेन दिलीप कुमार एक तरह के असफल रोमांटिक तनाव में शायद घिरे रहे होंगे।

सुखी वैवाहिक जीवन और सायरा बानो जैसी सर्वज्ञात प्रतिबद्ध पत्नी होने के बावजूद दिलीप कुमार ने किन परिस्थितियों में आस्ना नाम की महिला से अपना दूसरा ब्याह रचाया। यह रहस्य ही था। ‘आत्मकथा‘ में इस घटना पर लगभग शर्मिन्दी का इज़हार करते दिलीप कुमार ने उन असहज कारणों में उलझते हुए अपने स्पष्टीकरण को उससे कहीं ज़्यादा रहस्यमय बना दिया। हैदराबाद की आस्ना नामक महिला शादीशुदा थी और उसके दो बच्चे भी थे। अपने पहले पति से तलाक लेने के बाद अचानक एक दिन (1982) आस्ना ने मीडिया को यह खबर लीक की कि उसका दिलीप कुमार से विवाह हो गया है। तबकी फिल्मी पत्रकार देवयानी चौबल सहित कई अन्य पत्रकारों ने इस घटना से अपने पत्रों को रंग दिया। दिलीप कुमार ने तत्संबंधी प्रकाशन को रोकने की बहुतेरी कोशिशे कीं। लेकिन मीडिया कब किसी का होता है? सायरा बानो ने अलबत्ता असाधारण सहनशीलता, साहस, धैर्य और पत्नीसुलभ व्यावहारिकता तथा व्यक्तित्व के लचीलेपन का परिचय दिया। कुछ अरसा गुजर जाने के बाद दिलीप कुमार और आस्ना का तलाक हो गया। इसके पहले आस्ना ने पाली हिल के दिलीप कुमार के बंगले में रहना शुरू कर दिया था। अफवाहें यहां तक कहती हैं कि उसके पहले पति ने जानबूझकर उसे नकली तलाक दिया था, जिससे योजनाबद्ध तरीके से उसका रिश्ता दिलीप कुमार के साथ जुड़ सके। शायद उनकी निगाह इस महान कलाकार की दौलत पर भी रही होगी।

दिलीप कुमार धर्म, जाति, संस्कार, भूगोल या मौसम के तकाज़ों का फकत उत्पाद नहीं है। अपनी ‘आत्मकथा‘ की अंगरेज़ी में प्रस्तुतकर्ता उदयतारा नायर को उन्होंने अपने गीता-ज्ञान से भी विस्मित किया है। यही आदमी है जिसके पास निजी पुस्तकालय के अतिरिक्त किताबों का गोदाम घर भी है। अचानक फरमाइश कर वह किसी भी किताब को मंगवा लेता है। अपनी आराम कुरसी में अधलेटा टेबिल लैम्प की रोशनी में इसे किताबें पढ़ते देखना अमूमन इसकी पत्नी सायरा बानो को ही ज्यादा नसीब है। उन्हें सायरा बानो ने अपना कोहिनूर कहा है।
साभार:कनक तिवारी

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