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बंद है मुट्ठी लाख की, खुली जो प्यारे खा़क की।

कनक तिवारी की यादें

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Kanak Tiwari. Courtesy Facebook
Positive India:Kanak Tiwari:
जो युवा हैं उनके साथ अभी यह नहीं होता । उम्र के जिस पड़ाव में मैं आ गया हूं वहां प्रतिदिन कुछ न कुछ एक ऐसी खबर आती है, जिससे अवसाद बढ़ता है और यादों में पीछे लौटना पड़ता है। ऐसा लगता है कि कोई कांटा चुभ गया है जेहन में, जिसे किसी दूसरे कांटे से निकालना चाहिए वर्तमान में लौटने के लिए ।

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कोई न कोई रोज जा रहा है। कोई न कोई गंभीर बीमार पड़ रहा है । कोई अस्पताल में जिंदगी के लिए जद्दोजहद कर रहा है, कोई हताश हो गया है । कोई अभी हौसला बढ़ा रहा है कि अभी न होगा मेरा अंत अभी अभी तो आया है मेरे घर में मृदु बसंत । रोज सुबह अखबार में प्रथम पृष्ठ के बदले शोक संदेश का कॉलम पढ़ना पड़ता है । नहीं भी पढ़ें तो क्या होता है । दोस्तों के व्हाट्सएप मैसेज, टेलीफोन, s.m.s. चिट्ठियां तरह तरह से खबरें भेजने का माध्यम जो हैं । हम जिस जमाने के हैं सोशल मीडिया तो था ही नहीं । व्हाट्सएप, इंस्टाग्राम, फेसबुक से परिचय तो क्या नाम नहीं सुना था । इसलिए अपने दोस्त टेलीफोन पर भरोसा करते हैं । कभी-कभार टेलीफोन नंबर नहीं होने पर किसी कारण से छोटी से चिट्ठी लिख देते हैं । उनकी परिचित वाली हैंडराइटिंग खराब हो चुकी होती है । लगता है कांपते हुए हाथों से लिखा है। चिट्ठी आने से कलेजा धड़कता है । जैसे दशकों पहले एक गांव में चिट्ठी आती थी ।तो पूरा गांव पहले से इकट्ठा हो जाता था कि इस घर में हम को सहानुभूति प्रकट करना है । ऐसा भी कुछ होगा अपनी जवानी में मैंने कहा सोचा था ।

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फिर भी कुछ नौजवान हौसला बढ़ाते हैं । कहते हैं अब आपको अपनी उम्र के साथ नहीं अपनी यादों के साथ नहीं, वर्तमान के साथ रहना चाहिए। अपने से बहुत छोटे लोगों के साथ भी मानसिक रूप से पूरी दोस्ती करना चाहिए । इसमें आपके बच्चे भी शामिल हैं। जिस तरह वह खाते हैं, पीते हैं, मनोरंजन करते हैं ,पढ़ना चाहते हैं, जिंदगी से संघर्ष करना चाहते हैं, कई चीजें छोड़ देना चाहते हैं, कई तरह के काम छोड़ देना चाहते हैं, भाषा को बदल देना चाहते हैं ।वह सब मुझे करना चाहिए। तब मैं ठीक से जी सकूंगा।

बच्चे भी कहते हैं अतीत और भविष्य में क्या रखा है। दोनों मिथक हैं ,कल्पनाएं हैं, असंभावनाएं हैं। पापा वर्तमान में जियो, खूब खाओ पियो, मौज करो। जो जो जीवन में नहीं कर सके, अब समय है, सब काम धंधा छोड़कर अपने वह पुराने शौक व पुरानी कमियां, सब को पूरा करने की कोशिश करो। दिमाग से ज्यादा काम मत लो। यह दिमाग परेशान करने की मशीन है। दुबले होने की कोशिश करो। थोड़ी कसरत करो। टी शर्ट जींस पहनो। कुर्ता पाजामा पहन कर बहुत बुरे दिखते हो, बंद करो । घर पर जांघिया पहना करो, हाफ पैंट निकर । लुंगी मत अब लपेटो,बहुत खराब दिखते हो। मैं कहता हूं कि लुंगी बहुत हवादार होती है, एयर कंडीशंड लगता है। फिर शाहरुख खान की नकल करते लुंगी डांस, लुंगी डांस करने लगते हैं।

कहते हैं अखबार में शोक संदेश वाला पृष्ठ देखा मत करो। अपना फोन हमें दे दो । हम पहले आपके मित्रों का फोन आने से पूछेंगे कि क्या बात है, फिर धीरे से जरूरत पड़ेगी तो आपको बताएंगे । और बहुत सी पुरानी खबरें आपको मालूम पड़ें, इसकी क्या जरूरत है। जोमैटो, स्विग्गी वगैरह से खाना मंगवा देते हैं, बहुत मजा आएगा। क्लब गए नहीं,डांस सीखा नहीं, अभी सीख लो। कहते हैं जीवन तो मुट्ठी में बंद हवा है । मुट्ठी तो बंद करो। मैं मुट्ठी बंद करता हूं तो उसके अंदर जीवन नहीं यादें घुस जाती हैं । मैं यादों को भींच रहा हूं । उनसे अलग नहीं हो पाता हूं क्योंकि मुट्ठी चाहने पर भी खुल नहीं रही है। बंद है मुट्ठी लाख की खुली जो प्यारे खा़क की।

साभार:कनक तिवारी

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