Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
तीन सौ सत्तर हटाने के बाद लोग काफी उत्साहित हो गए है । इस खुशी ने उनके दिल का दर्द भी उजागर कर दिया । पर इसके बाद भी हमारी संस्कृति ऐसी है जो सबका आदर करना सिखाती है । यही कारण है जब सोशल मीडिया मे कुछ पोस्ट अनैतिक लगी तो जिम्मेदार लोगो ने अपने सीमा मे रहने की ताकीद भी की । पर दूसरे तरफ उस चरित्र को भी हिंदुस्तान नही भुला सकता जहां सैनिको पर पत्थर मारे जा रहे थे । यूपीए के शासन के समय सैनिको के हाथ बांधे दिए गए थे । वहां के काश्मीर के लोगो ने सैनिको पर लात मारने का भी दुस्साहस किया था । ऐसी बाते जो आम थी, और सत्तर साल से देख रहे थे, ये भी एक नाराजगी इन सबके पीछे एक कारण रही होगी । यही काश्मीर है, जहा हिंदू पंडितो के साथ नरसंहार किया गया था । महिलाओ के साथ बलात्कार जैसी घटनाओ को अंजाम दिया गया था । पूरे शांति मसीहाओ की कौम ने खामोशी अख्तियार कर ली थी । यह सब बाते आम आदमी नही भूला है । वो टीस दिखाई देती है । यही कारण है कुछ पोस्ट से लोगो की भावनाएँ दुखी होंगी
एक नजर मारी जाये तो हमारी भावनाओ को कितनी बार आहत किया गया है उसका कोई हिसाब नही है । ये वो सेना थी जिन्होंने अपनी जान को जोखिम मे डालकर बाढ के समय फंसे हुए अनगिनत कश्मिरियो को निकाला था । तब उनके लिए दुआ की जा रही थी । बाद मे ? कुल मिलाकर स्वार्थ का खेल है ।
क्या धर्मनिरपेक्षता तभी तक है जबतक हिन्दूओ का नुकसान होता रहे और बाकी लोगो का फायदा ? आज भी, इतना होने के बाद भी, इस देश के लोगो की सोच और संस्कृति कितनी समृद्ध है कि उनके लिए आज भी सही भावनाएँ है जो हमारे देश व संस्कृति की देन है । एक बात और काबिलेतारीफ है कि इतने बड़े सौगात के बाद जब लोग खुशियाँ मना रहे थे तब स्व. श्रीमती सुषमा स्वराज के निधन मे पूरा देश गमगीन हो गया । यह है हमारे देश की आत्मा । फिर और कभी ।
लेखक:डा.चंद्रकांत वाघ