Positive India:Gajendra Sahu:
भारत एक युवा देश है । ये संज्ञा इसलिए भारत पर निरूपित की गई है क्यूँकि भारत में युवा वर्ग बच्चों और बूढ़ों की अपेक्षा ज़्यादा है । किसी भी देश की वर्तमान पहचान उसके युवा से ही होती है । बच्चों पर भविष्य का बोझ और बूढ़ों के पास अनुभव का भंडार होता है ।
पढ़ाई ख़त्म होने के बाद युवा सिर्फ़ अपने उज्जवल भविष्य के सपने संजोने लगते है । और उज्ज्वल भविष्य के लिए चाहिए दौलत- शोहरत जो उसे रोज़गार से ही प्राप्त होती है । भारत जनसंख्या की दृष्टि से विश्व में दूसरे स्थान पर है । बढ़ती आबादी और घटते संसाधन के बीच युवा पिस रहा है । भारत में रोज़गार की समस्या बहुत बढ़ चुकी है । वह इस क़दर बढ़ चुकी है कि अब स्कूल के निबंध में भी अपना स्थान बना चुकी है ।
आम जनता एक अच्छी सरकार इसलिए चुनती है कि सरकार द्वारा उनके समस्याओं का निवारण हो सके । उनकी मूलभूत सेवाएँ पूरी हो सके । पानी,बिजली , सड़क,नाली ये सभी जनसमस्या ज़रूर है पर यहाँ हम ज़रूरत की बात कर रहे है । रोटी,कपड़ा और मकान ,इन सबके बाद अब ज़्यादा ज़रूरी है रोजगार । रोज़गार पैसा – प्रतिष्ठा सभी दिलाती है पर रोज़गार कौन दिलाएगा । ये बड़ी समस्या है । लोग रोटी के लिए मिट्टी से अलग हो रहे है । काम के लिए एक प्रदेश से दूसरे प्रदेश,एक देश से दूसरे देश जा रहे है । तीज-त्योहार,दोस्त – रिश्तेदार कहीं दूर छूट जाते है ।
सोशल मीडिया के युग में अब समाचार का स्वरूप काग़ज़ से मोबाइल की स्क्रीन में बदल चुका है । परसों एक पोस्ट देखा जिसमें इस बात का ज़िक्र था कि आंध्रा प्रदेश सरकार द्वारा स्थानीय युवाओं को 75% प्राइवेट व सरकारी नौकरी दी जाएगी । जिस युवा के पास उस कार्य को करने लायक अनुभव , शिक्षा या योग्यता नहीं है तो उसे सरकार और उस प्राइवेट कम्पनी द्वारा सामूहिक पहल से उस कार्य लायक बनाया जाएगा और फिर उसे नौकरी पर रख लिया जाएगा । बाहर के लोगों के लिए मात्र 25% रोज़गार का ही प्रावधान किया गया है । यदि मैं इस विषय पर अपनी बात रखूँ तो मैं ऐसे फ़ैसले से सहमत भी हूँ और ऐसे निर्णय का स्वागत करता हूँ । सरकार की सवेदनशीलता जनता और अपने प्रदेश के लोगों के प्रति कितनी भावनात्मक है इससे साफ़ ज़ाहिर होता है ।
यदि इस विषय की विवेचना की जाए तो कई तथ्य पर बात होगी । आलोचना की जाए तो फिर कुछ सही नहीं कह सकते है ।
स्थानीय युवाओं को 75% और 25% बाहरी प्रदेश के युवाओं को रोज़गार जैसा निर्णय सराहनीय और साहसिक है । अगर बात करे प्रदेश के स्थानीय युवाओं की तो ये फ़ैसला उनके लिए किसी वरदान स्वरूप है । रोटी के लिए मिट्टी अपनी जन्मभूमि नहीं छोड़नी होगी । अपनी संस्कृति,त्योहार,रिश्तेदार से दूर नहीं रहना पड़ेगा ।
बाहरी लोगों को भी रोज़गार मिलेगा पर 25% ही । कई बार स्थानीय और बाहरी वाला प्रभाव भी लड़ाई की जड़ बनता है । इससे आपसी राज्यों, रहवासियो के मतभेद जैसी ख़बरों पर भी पूर्ण विराम लगेगा ।
महाराष्ट्र और गुजरात में उत्तरप्रदेश और बिहार के लोगों को इसी रोज़गार के कारण अकसर मारा जाता है । यदि वहाँ की सरकारें इस प्रकार का निर्णय ले तो ऐसी घटना नहीं होगी ।
हाँ, कुछ लोगों को लगेगा कि यह फ़ैसला सही नहीं है । इससे दूसरे राज्यों की कला,संस्कृति और त्योहार एक स्थान से दूसरे स्थान नहीं जाएगी । या किसी भी राज्य की स्थानीय तानाशाही बढ़ेगी तो इसपर ध्यान न दे ।
सरकार के इस फ़ैसले का तहें दिल से स्वागत और मैं तो छत्तीसगढ़ में नवगठित सरकार से निवेदन करता हुँ कि जल्द से जल्द इसे भी छत्तीसगढ़ में लागू किया जाए ।
लेखक:गजेन्द्र साहू(ये लेखक के अपने विचार हैं)