मुस्कान पांच लाख रुपये आपकी बहादुरी का पुरस्कार नहीं बल्कि आपके शिकार होने की कीमत लगाई है मुल्लों ने
-विशाल झा की कलम से-
Positive India:Vishal Jha:
मुस्कान(Muskan) की बहादुरी का कीमत लगाया गया, पांच लाख रुपये।
क्या आपने भारत में कभी किसी मुस्कान को शिक्षा के लिए लड़ते देखा? सहभागिता के लिए लड़ते देखा? समता के लिए लड़ते देखा? शोषण के विरुद्ध लड़ते देखा? नहीं ना?
मुस्कान जब भी लड़ी, एनआरसी के खिलाफ लड़ी। ट्रिपल तलाक कानून के खिलाफ लड़ी। आज बुर्के(Burqa) से आजादी के खिलाफ लड़ रही हैं। जय श्रीराम के अभिवादन के खिलाफ लड़ रही हैं।
आज जरा हृदय पर हाथ रखकर बताना, क्या सच में मुस्कान बहादुर है? क्या इन्हे इस्लामिक पैट्रियार्की के लिए यूज नहीं किया जा रहा? क्या इनको मजहबी राजनीति के लिए शिकार नहीं बनाया जा रहा?
मोदीवाद की कुंठा के खिलाफ आपका यूज किया जा रहा है। आप बिल्कुल भी बहादुर नहीं हैं। आप इस लड़ाई में अगर जीत भी गई तो आपको और आपके स्त्री समाज को क्या मिलेगा? बुर्के की गांठ ही ना? ये पांच लाख रुपये आपकी बहादुरी का पुरस्कार नहीं, आपके शिकार होने की कीमत है।
साभार:विशाल झा-(ये लेखक के अपने विचार हैं)