Positive India:Dr.Chandrakant Wagh:
26/11 न भूलने वाला दिन । कांग्रेस की कमजोर नीति के चलते जब तक यूपीए की सरकार रही तब तक हम इसके शिकार होते रहे । और हमारे तत्कालीन सियासतदान विनम्र श्रद्धांजलि का एक जुमला लिए हर समय तैनात रहे । वहीं कभी आक्रोश दिखाई पड़ने पर मुआवजा लिए खडे रहे । उस वक़्त की मनमोहन सिंह की तत्कालीन सरकार ने आतंकवाद से लड़ने मे जितनी तैयारी दिखाई,उससे अब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा की किताब से देश भी परिचित हो गया है ।
सर्वप्रथम तो पाकिस्तान के आतंकवादी घटनाओं से लड़ने को मुस्लिम वोट बैंक से जोड़कर रणनीति अपनाई जो दुर्भाग्य से देश के लिए तो घातक हुई ही, हमारे हिंदुस्तानी मुसलमान नागरिकों को भी इन हमलों मे शहीद होना पड़ा । एक बात तो निश्चित है, उस समय पाक बिलकुल बेखौफ़ था। उन्हे न हमारे शासको का डर था न ही सैन्य बलों का । उन्हे मालूम था कि सैनिकों का मनोबल कितना भी ऊंचा हो, पर अगर शासको का मनोबल ही नहीं है तो कोई उन पर कार्यवाई कैसे कर पाते।
26/11 के बाद यूपीए सरकार ने क्या कर लिया ? कड़ी चेतावनी और विश्व के बड़े देशो से पाकिस्तान की शिकायत की और अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घटनाओं के लिए सहयोग मांगा!! जब तुममे ही लड़ने का माददा नहीं है तो दूसरे तुम्हे क्यो सहयोग करने चले ? हमारे तत्कालीन प्रधानमंत्री, गृहमंत्री और रक्षा मंत्री ने कौन सा अपना फर्ज निभाया?
पाक को मालूम था कि दिल्ली की सत्ता पर कमजोर लोग बैठे है, कुछ भी कर लो, आह तक नहीं निकलेगी । यही कारण है कि शहीद हेमराज का शव धड़ से अलग कर लौटाने का दुःसाहस किया । शहीद सौरभ कालिया के लिंग काटकर भेजने का दुष्कृत्य और दुःसाहस किया। सरबजीत सिंह को आखिरकार टार्चर कर मौत के बाद ही शव लौटाया।
हमारी मनमोहन सिंह की तत्कालीन सरकार ने आतंकवाद से लड़ने के लिए एक विशेष रणनीति अपनाई जिसका नाम था ” मुआवजा ” । बस हमारे पास यही रणनीति थी ।
पर अब देश के हालात बदल चुके है। सैनिक तो वही है, पर मात्र सरकार बदलने से आतंकवाद से लड़ने का जज्बा बदल गया है। पुलवामा केस के बाद सर्जिकल स्ट्राइक कर भारत ने आतंकवादियो को सीधे जहन्नुम पहुचा दिया।
जिस काश्मीर से आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने का काम होता था, वह काश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। अबतो इसे पाक सरकार ने और वहां के नागरिकों ने भी मान लिया है। अब तो हालात ऐसे हैं कि पाक को भी अब पीओके को बचाने की चिंता खायें जा रही है।
हमारे गृहमंत्री और रक्षा मंत्री ने साफ कह दिया है कि पीओके हमारा है । पहले हमारे शहीद के शव क्षत विक्षत आते थे । एक बार कोई धोखे से सीमा पार हो जाए तो वह कभी भी जीवित नहीं लौटता था । पर अब विंग कमांडर अभिनंदन को शांति के नाम से लौटाया । पर वहां के संसद मे, वहां के नेताओं ने ही अपने ही सरकार पर आरोप लगाया कि पाक सेना के सेनाध्यक्ष जनरल बाजवा के पैर कांप रहे थे, वो पसीने पसीने हो रहे थे। यह है मोदी जी का खौफ। यही हाल चीन का भी करके रख दिया है।
आज अगर 26/11 होता तो पाकिस्तान का अस्तित्व ही खत्म हो जाता । आजादी के बाद से पाक ने हमारी कमजोर विदेश नीति और गृह नीति का कसकर फायदा उठाया । इसके कारण बेवजह निर्दोष नागरिक मारे गए। मेरे दोस्तों अब सरकार का चुनाव करते समय हर समय 26/11 जेहन में रखना। जो सरकार आपकी हिफाजत नहीं कर सकती उसे चुनकर आप अपने मौत को निमंत्रण दे रहे है । कभी धोखे से हमला हो गया तो सरकार उसका बदला तक नहीं ले सकती। ऐसे सरकार को चुनकर, आतंकवादी घटनाओं के सिवाय कुछ नहीं मिलने वाला है।
विगत छै साल से यह देश आतंकवादी घटनाओं से मुक्त है । आज तो स्थिति यह है पाक और चीन भारत की शिकायत कर रहे है। और तो और पाक अपने आपको आतंकवाद से पीड़ित बता रहा है । हमारे सैनिकों से दोनों देश डरे हुए हैं। विगत छै माह से अपने को विश्व का सबसे शक्तिशाली मानने वाला चीन भी वहीं खड़ा है । जब भी वोट डाले 26/11 जेहन मे होना चाहिए जिससे वोट इससे बचाने वालो को जाए । 26/11 के शहीदो को विनम्र श्रद्धांजलि । बस इतना ही
लेखक:डा.चंद्रकांत रामचन्द्र वाघ-अभनपूर ।