

स्मार्ट कार्ड के इलाज के मुद्दे पर निजी अस्पताल और स्वास्थ्य विभाग आमने सामन
इंश्योरेंस की सीनाजोरी जग जाहिर है, जहां कुछ बड़े अस्पतालों पर ये मेहरबान है वही बहुतायत इससे त्रस्त हो चुके हैं। बीमा कंपनी की मनमानी से अस्पताल के संचालन मानसिक तथा आर्थिक रुप से परेशान हो चुके है। इस मुद्दे को लेकर आईएमए तथा छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग आमने सामने आ गया है। अगर बीमा कंपनी की मनमानी तथा सीनाजोरी ऐसी ही चलती रही तो वो दिन दूर नहीं जब यही अस्पताल मरीजों का इलाज करने से हाथ खड़े कर देंगे। वैसे इसकी नौबत आ चुकी है। आईएमए के आतंरिक सर्वे में एक बात साफ हो गई है कि 74 प्रतिशत निजी अस्पताल हैल्थ स्मार्ट कार्ड से इलाज नहीं करना चाहते। अब बीमा कंपनी हर स्टेप पर अस्पताल तथा डाक्टरों पर शक की नजर से देखती है। क्लेम का भुगतान महीनों रोका जाता है। इस पर रिजेक्शन की मार अलग से। अब तो बीमा कंपनी के एजेंटों को मरीजों की प्रायवेसी में भी दखल देना शुरु कर दिया है।
बीमा कंपनी की इन्हीं सब हरकतों की वजह से आईएमए ने साफ कर दिया है कि आने वाले समय में अगर सरकार कुछ दखल नहीं देती है तो निजी अस्पताल स्मार्ट कार्ड से इलाज बंद कर सकते हैं।