Positive India:एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट डॉ. बी.आर.अम्बेडकर चिकित्सालय रायपुर में सोमवार दिनांक 18 फरवरी 2019 को धड़कनों की विषेष कार्यषाला आयोजित की गई जिसमे विभिन्न प्रकार धड़कनों की बिमारी का निदान एवं उपचार किया गया, कार्यषाला सुबह 8 बजे से रात्री के 8 बजे चली, जिसमे ए.सी.आई. के पहले आटोमेटेड इम्पलाटेबल कार्डियो वेरटर डिप्रिबिलेटर मषीन लगाई, इस मषीन को ए.आई.सी.डी. कहा जाता है। ये छोटी डिवाइस मषीन है जिसे छाती मे लगाया जाता है। ये मषीन दो प्रकार से जान बचाती है। ये दिल की धड़कनों की विषमताओं को दिल के अन्दर के ही हल्का करंट का झटका (डिफीबीलेषन) या दिल में तेज गति से धड़कन को धड़का कर कार्डियोर्वसन कर सुधार करती है । साथ ही यह मषीन मरीज की हर धड़कन का लेखा जाखा रखती है जिसे कम्प्युटर द्वारा पढ़ा जा सकता है और इलाज करने वाले डॉ. द्वारा मषीन की नसो के बेहतर इलाज देने के लिए प्रोग्रामिंग मे मद्द करती है।
कोरोनरी साइनस एन्यूरिज्म या डायवर्टिकुला दुर्लभ जन्मजात विसंगतियां हैंए और डायवर्टिकुला एक पोस्टोसेप्टल एक्सेसरी एट्रियोवेंट्रिकुलर कनेक्शन के साथ 1985 में पहली बार वर्णित किया गया था वे वोल्फ.पार्किंसन.व्हाइट सिंड्रोम या अचानक मृत्यु के पोस्ट मार्टम के दौरान रोगियों में पहचाने गये
हैं। आज कोरोनरी साइनस एन्यूरिज्म का निदान इकोकार्डियोग्राफीए कोरोनरी साइनस कंट्रास्ट एंजियोग्राफीए कोरोनरी एंजियोग्राफी और परमाणु चुंबकीय अनुनाद इमेजिंग द्वारा किया जा सकता है।इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल अध्ययनए पोस्टोसेप्टल एक्सेसरी मार्ग की उपस्थिति की पुष्टि कर सकते हैंए हालांकिए नैदानिक वातावरण में जहां एक रोगी को समान बीमारी सेटिंग्स के तहत कार्डियक फिजियोलॉजी बदल सकती हैए डायवर्टीकुलम के स्थान को निर्धारित करना और इस प्रकार रेडियोफ्रीक्वेंसी वितरित करना असंभव नहीं हैए तो यह मुश्किल हो सकता है।
ऐसा कारोनरी साईनस डाईवट्रीकुलम के कारण तेज धड़कन की बीमारी से ग्रसित एक मरीज का सफलता पूर्वक इलेक्ट्रो फिजियोलोजी स्टडी और रेडियो फ्रिकवेंसी अबलेषन द्वारा इलाजकिया गया इसके अतिरिक्त कुल 6 मरीजों जिन्हें दिल की तेज धड़कन की बीमारी सुप्रावेंटीकुलर टेकिकार्डिया थी, उनकाभी इलेक्ट्रो फिजियोलोजी और रेडियो फ्रिकवेंसी अबलेषन द्वारा सफलता पूवक इलाज किया गया है।
एक अतालता के लक्षण प्रत्येक में अलग.अलग होते है
व्यक्ति। वे शामिल कर सकते हैं
ऽ तेज़ या तेज़ दिल की धड़कन
ऽ अनियमित ष्स्पंदनष् ;फेलवरद्ध
ऽ चक्कर आना या हल्का महसूस करना
ऽ साँसों की कमी
रेडियोफ्रीक्वेंसी अबलेषन एक प्रक्रिया है जिसका उपयोग कुछ अतालता (एरेथिमिया) के प्रका के उपचारों के लिए किया जाता। ज्यादातर मामलों मेंए यह ईपी अध्ययन के साथ में किया जा सकता है।प्रक्रिया के दाहिने पैर के शीर्ष पर नसों के माध्यम से की जाती हैए और कभी.कभी अपने बाएं कॉलरबोन के नीचे। मरीज पुरी तरह होष में रहता है और उसे प्रक्रिया के दौरान एक स्थानीय संवेदनाहारी दे कर सुन्न किया जाता है, मरीज के पैर के शीर्ष पर नसों के माध्यम से दिल में तारों को पारित किया जाता है।
इससे डॉक्टर दिल की विद्युत प्रणाली का अध्ययन और असामान्य क्षेत्र का पता लेगाते है अधिकांश रोगियों में यह दिल की विद्युत प्रणाली का एक श्शॉर्ट सर्किटश् है जिसे रेडियोफ्रीक्वेंसी ऊर्जा का उपयोग करते हुए जलाया जा सकता हैण्
13 अगस्त 2018 को एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट डॉ. बी.आर.अम्बेडकर हॉस्पिटल रायपुर में दो मरीजों का इलेक्ट्रो फिजियोलोजी स्टडी और रेडियो फ्रिकवेंसी अबलेषन द्वारा आगे इलाज से इस संस्थान में कार्डिक इलेक्ट्रो फिजियोलोजी सुविधा की सुरूआत हुई थी अभी इलेक्ट्रो फिजियोलोजी स्टडी की मषीन दिल्ली के कार्यषाला के आयोजन से समय किराये पर मंगाई जाती है। सी.जी.एम.एस.सी. द्वारा इलेक्ट्रो फिजियोलोजी स्टडी की मषीन टेंडर प्रकिया में पिछले दो वषों से है इस मषीन के आ जाने से एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट में मरीजो को यह सुविधा नित्य उपलब्ध रहेगी
इस कार्यषाला में एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट कार्डियोलोजी के विभागाध्यक्ष डॉ. स्मित श्रीवास्तव कार्डियोथोरेसिक सर्जरी के विभागाध्क्ष डॉ. के.के. साहु, और डॉ. निषान सिहं चंदेल निष्चेतना विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. प्रतिभा जैन शाह एवं कार्डियोलोजी के डॉ. लवलेष सिदार और डॉ. अविनाष नेताम कैथ टेक्निषियन आई.पी. वर्मा, नवीन ठाकुर, चन्द्रकांत, राम कुमार नर्सिंग शीना थॉमस, आनन्द, मिनाक्षी सामिलित थे,