बैंकों में किस कदर भ्रष्टाचार व्याप्त है इसका खुलासा नीरव मोदी तथा चौकसी के 12000 करोड़ से अधिक घोटालों ने कर दिया है। एक आम नागरिक हमेशा इसी भ्रम में जीता है कि उनकी रकम बैंक में सुरक्षित है। पर यहां तो एक उल्टा हो रहा है। अरबपति तथा खरबपति उद्योगपति भारतीय बैंकों को चूना नहीं लगा रहे है अपितु अपने घोटालों से आम जनता की जड़ों को खोखला कर रहे है। आम नागरिक की एक गलती को बैंक माफ नहीं करता है पर बड़े उद्योगपतियों के लिये अपना बैकिंग पासवर्ड तक मुहैय्या करवा देता है। कुछ किश्ते बाऊंस होने पर लीगल नोटिस से लेकर कुर्की तक तुरंत हो जाती है, परंतु बड़े डिफाल्टरों पर बैंक हाथ डालने से कतराता है। कतराए क्यों नहीं, इस भ्रष्टाचार में बैंक के नीचे से ऊपर तक के कर्मचार लिप्त रहते हैं। विजय माल्या तथा नीरव मोदी ने तो अभी मात्र ट्रेलर दिखाया है। लगभग हर शहर में बड़े उद्योगपति बैंकों का सैकड़ों करोड़ रुपए दबा कर बैठे है। आगे-आगे देखिए होता है क्या..