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एनएचएम्एमआई अस्पताल पर आरोप निराधार। जीवित मरीज को डिस्चार्ज किया गया था। बिल के लिये कोई दबाव नही बनाया था।

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एनएचएम्एमआई अस्पताल पर आरोप निराधार। जीवित मरीज को डिस्चार्ज किया गया था। बिल के लिये कोई दबाव नही बनाया था।

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एनएचएमएमआई हॉस्पिटल ने अधिकारिक रुप से ये स्पस्टीकरण दिया है कि मरीज के परिजनो द्वारा लगाये गये आरोप निराधार तथा फेक है। परिजनो का यह आरोप कि शव लेने के लिये अस्पताल ने 80,000 की मांग की, बिल्कुल झूठी है। मरीज के परिजन जबर्दस्ती जीवित अवस्था मे उसे डिस्चार्ज करवा कर ले गये। कुल बिल 61,990 का था। प्रबन्धन ने इस बिल के लिये भी किसी तरह का दबाव नही बनाया था।इलाज के लिये सरकारी अस्पताल हाथ खड़े कर चुके थे। मरीज की हालत बेहद गम्भीर थी, उस पर मरीज के परिजन नियमों के विरूध उसे जबर्दस्ती डिस्चार्ज करवा कर ले गये।
विधायक महोदय द्वारा लिखी गई चिट्ठी तथा मरीज के परिजनो द्वारा लगाये गये आरोपों मे जबर्दस्त विरोधाभास है। फेक न्यूज़ चलवा कर तथा सोशल मीडिया पर प्रचारित करके अस्पताल की इमेज की धूमिल करने का प्रयास किया गया है।
छत्तीसगढ़ मे एक तरफ डाक्टरो की कमी है, सरकारी अस्पतालों मे दवाइयां तक उप्लब्ध नही है। अभी अभी कमिसन खोरी के चक्कर मे छत्तीसगढ का एक आला अधिकारी रँगे हाथो पकड़ा गया है जो अभी सलाखों के पीछे है। इसके बावजूद एक प्रतिस्थिट अस्पताल एनएचएमएमआई पर निराधार आरोप लगा कर उसे बदनाम करना सर्वथा अनुचित है।

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